उत्तर भारत के कोसी तथा उसकी सहायक नदियों द्वारा आयताकार अपवाह प्रतिरूप का विकास किया गया है।
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विन्ध्य चट्टानों वाले प्रायद्वीपीय क्षेत्र में नदियों ने आयताकार अपवाह प्रतिरूप का निर्माण किया है, क्योंकि ये मुख्य नदी में मिलते समय चट्टानी संधियों से होकर प्रवाहित होती हैं तथा समकोण पर आकर मिलती है।
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विन्ध्य चट्टानों वाले प्रायद्वीपीय क्षेत्र में नदियों ने आयताकार अपवाह प्रतिरूप का निर्माण किया है, क्योंकि ये मुख्य नदी में मिलते समय चट्टानी संधियों से होकर प्रवाहित होती हैं तथा समकोण पर आकर मिलती है।